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Showing posts from March, 2022

बलिदान दिवस - भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु।

        by  हिंदी ओलंपियाड फाउंडेशन  |   Hindi Olympiad Foundation बलिदान दिवस क्रान्तिवीर भगत सिंह का जन्म 28 सितम्बर, 1907 को ग्राम बंगा, (जिला लायलपुर, पंजाब) में हुआ था। उनके जन्म के कुछ समय पूर्व ही उनके पिता किशन सिंह और चाचा अजीत सिंह जेल से छूटे थे। अतः उन्हें भागों वाला अर्थात भाग्यवान माना गया। घर में हर समय स्वाधीनता आन्दोलन की चर्चा होती रहती थी। इसका प्रभाव भगत सिंह के मन पर गहराई से पड़ा।  13 अप्रैल 1919 को जलियाँवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह के क्रांतिकारी विचारों को और भी पक्का कर दिया,उन्हें लगने लगा कि धूर्त अंग्रेज अहिंसक आन्दोलन से नहीं भागेंगे, इसके लिए क्रान्तिकारी संगठन बनाने में जुट गए। विवाह का दबाव पड़ने पर उन्होंने घर छोड़ दिया और कानपुर में स्वतन्त्रता सेनानी गणेशशंकर विद्यार्थी के समाचार पत्र ‘प्रताप’ में काम करने लगे।  कुछ समय बाद वे लाहौर गए और कई स्थानों का प्रवास भी किया। इसमें उनकी भेंट चन्द्रशेखर आजाद जैसे साथियों से हुई। उन्होंने कोलकाता जाकर बम बनाना भी सीखा।  1928 में ब्रिटेन से लार्ड साइमन के नेतृत्व में एक दल भारत आया। लाहौर में लाला लाजपतराय क

एक जीवन ऐसा भी - वीर सावरकर

      by  हिंदी ओलंपियाड फाउंडेशन  |   Hindi Olympiad Foundation वीर सावरकर वीर विनायक दामोदर सावरकर दो आजन्म कारावास की सजा पाकर कालेपानी नामक कुख्यात अंडमान की सेल्युलर जेल में बन्द थे। वहाँ पूरे भारत से तरह-तरह के अपराधों में सजा पाकर आये बन्दी भी थे। सावरकर उनमें सर्वाधिक शिक्षित थे। वे कोल्हू पेरना, नारियल की रस्सी बँटना जैसे सभी कठोर कार्य करते थे। इसके बाद भी उन्हें अमानवीय यातनाएँ दी जाती थीं। भारत की एकात्मता के लिए हिन्दी की उपयोगिता समझकर उन्होंने खाली समय में बन्दियों को हिन्दी पढ़ाना प्रारम्भ किया। उन्होंने अधिकांश बन्दियों को एक ईश्वर, एक आत्मा, एक देश तथा एक सम्पर्क भाषा के लिए सहमत कर लिया। उनके प्रयास से अधिकांश बन्दियों ने प्राथमिक हिन्दी सीख ली और वे छोटी-छोटी पुस्तकें पढ़ने लगे।  अब सावरकर जी ने उन्हें रामायण, महाभारत, गीता जैसे बड़े धर्मग्रन्थ पढ़ने को प्रेरित किया। उनके प्रयत्नों से जेल में एक छोटा पुस्तकालय भी स्थापित हो गया। इसके लिए बन्दियों ने ही अपनी जेब से पैसा देकर ‘पुस्तक कोष’ बनाया था। जेल में बन्दियों द्वारा निकाले गये तेल, उसकी खली-बिनौले तथा नारियल की