Skip to main content

Posts

Showing posts from January, 2022

एक जीवन ऐसा भी - लाला लाजपत राय

by  हिंदी ओलंपियाड फाउंडेशन  |  Hindi Olympiad Foundation लाला लाजपत राय (28 जनवरी 1865 – 17 नवम्बर 1928) लाला लाजपत राय भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। इन्हें  'पंजाब केसरी'  भी कहा जाता है। इन्होंने पंजाब नैशनल बैंक और लक्ष्मी बीमा कम्पनी की स्थापना भी की थी। ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में गरम दल के तीन प्रमुख नेताओं लाल-बाल-पाल में से एक थे। लाला लाजपत राय का जन्म पंजाब के मोगा जिले में 28 जनवरी 1865 को एक जैन परिवार में हुआ था इन्होंने कुछ समय आज के हरियाणा के रोहतक और हिसार शहरों में वकालत की।  ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गरम दल के प्रमुख नेता थे बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल के साथ इस त्रिमूर्ति को लाल-बाल-पाल के नाम से जाना जाता था। इन्हीं तीनों नेताओं ने सबसे पहले भारत में पूर्ण स्वतन्त्रता की माँग की थी बाद में समूचा देश इनके साथ हो गया। इन्होंने स्वामी दयानन्द सरस्वती के साथ मिलकर आर्य समाज को पंजाब में लोकप्रिय बनाया। लाला हंसराज एवं कल्याण चन्द्र दीक्षित के साथ दयानन्द एंग्लो वैदिक विद्यालयों का प्रसार किया, लोग जिन्हें आजकल डीएवी स्कूल्स व कालेज

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार

by  हिंदी ओलंपियाड फाउंडेशन  |  Hindi Olympiad Foundation प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2020 बाल शक्ति पुरस्कार  बाल शक्ति पुरुस्कार, राष्‍ट्रीय वीरता पुरस्कार भारत में हर वर्ष 26 जनवरी की पूर्व संध्या पर बहादुर बच्चों को दिए जाते हैं। भारतीय बाल कल्याण परिषद ने 1957 में ये पुरस्कार शुरु किये थे। पुरस्कार के रूप में एक पदक, प्रमाण पत्र और नकद राशि दी जाती है। सभी बच्चों को विद्यालय की पढ़ाई पूरी करने तक वित्तीय सहायता भी दी जाती है।   1996 से शुरू हुआ राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 6 श्रेणियों में असाधारण उपलब्धि हासिल करने वाले बच्चों को दिया जाता है। असाधारण उपलब्धि हासिल करने वाले बच्चों को सम्मानित करने के मकसद से 1996 में इस पुरस्कार को शुरू किया गया था। इस पुरस्कार को हासिल करने वाले बच्चों को मेडल के अलावा नकद पुरस्कार दिया जाता है। 2018 से इस पुरस्कार का नाम बदलकर 'प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' रखा गया है और इसमें बहादुरी के क्षेत्र में उपलब्धि हासिल करने वाले बच्चों को भी शामिल किया गया।  किन बच्चों को मिलता है  प्रधानमंत्री  राष्ट्रीय बाल पुरस्कार:- -  प्रधानमंत

एक जीवन ऐसा भी - नेताजी सुभाष चन्द्र बोस

by  हिंदी ओलंपियाड फाउंडेशन  |  Hindi Olympiad Foundation  हर साल २३-जनवरी को हम नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती मनाते हैं, उनके दिए गए प्रसिद्द नारे  ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा’ और ‘जय हिन्द’ हमें आज भी देशभक्ति के जज्बे से भर देते हैं। बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी नेताजी का सम्पूर्ण जीवन देश के लिए समर्पित था। आईये याद करें उस महामानव आत्मा को जिसने हमारी आजादी में अहम् भूमिका निभाई और अपने उदाहरणों से हमें दशकों से प्रेरित करते आ रहे हैं और आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करते रहेंगे।  उनके मानव से महा-मानव बनने की ये यात्रा एक दिन की नहीं थी वरन ये गुण उनमे बचपन से ही विद्यमान थे।  संकल्प से सब कुछ हासिल किया जा सकता है बात नेताजी सुभाषचंद्र बोस के बचपन की है जब वे स्कूल में पढ़ा करते थे। बचपन से ही वे बहुत होशियार थे और सारे विषयो में उनके अच्छे अंक आते थे, लेकिन वे बंगाली में कुछ कमजोर थे। बाकि विषयों की अपेक्षा बंगाली मे उनके अंक कम आते थे। एक दिन अध्यापक ने सभी छात्रों को बंगाली में निबंध लिखने को कहा। सभी छात्रों ने बंगाली में निबंध लिखा। मगर सुभाष के निबंध मे

स्वामी विवेकानंद के जीवन से जुड़ी एक अद्भुत कहानी

by  हिंदी ओलंपियाड फाउंडेशन  |  Hindi Olympiad Foundation ये उस समय की बात है जब स्वामी विवेकानंद अमेरिका में थे। एक बार वे भ्रमण पर निकले एक नदी के पास से गु ज रते हुए उन्होंने कुछ लड़कों को देखा, वे सभी पुल पर खड़े थे और वहां से नदी के पानी में बहते हुए अंडों के छिलकों पर, बंदूक से निशाना लगाने का प्रयास कर रहे थे। लेकिन किसी भी लड़के का एक भी निशाना सही नहीं लग रहा था, यह देख वे उन लड़कों के पास गए और उनसे बंदूक लेकर खुद निशाना लगाने लगे। उन्होंने पहला निशाना लगाया, वो सीधे जाकर अंडो के छिलकों पर लगा फिर उन्होंने दूसरा निशाना लगाया, वो भी सटीक लगा। फिर एक के बाद एक उन्होंने बारह निशाने लगाये, सभी निशाने बिल्कुल सही जगह जाकर लगे। यह देख वे सभी लड़के आश्चर्यचकित रह गए, उन्होंने स्वामी जी से पूछा, “स्वामी जी, आप इतना सटीक निशाना कैसे लगा पाते हैं ? भला कैसे कर पाते हैं आप ये?” इस पर स्वामी विवेकानन्द ने उत्तर दिया, “असंभव कुछ भी नहीं है ।  तुम जो भी काम कर रहे हो, अपना दिमाग पूरी तरह से बस उसी एक काम में लगा दो ।  यदि पाठ पढ़ रहे हो, तो सिर्फ पाठ के बारे में सोचो ।  यदि निशाना साध रहे हो, तो