by हिंदी ओलंपियाड फाउंडेशन | Hindi Olympiad Foundation क्रांतिकारी नलिनीकान्त बागची भारतीय स्वतन्त्रता के इतिहास में यद्यपि क्रान्तिकारियों की चर्चा कम ही हुई है, पर सच यह है कि उनका योगदान अहिंसक आन्दोलन से बहुत अधिक था। बंगाल क्रान्तिकारियों का गढ़ था, इसी से घबराकर अंग्रेजों ने राजधानी कोलकाता से हटाकर दिल्ली में स्थापित की थी। इन्हीं क्रान्तिकारियों में एक थे नलिनीकान्त बागची, जो सदा अपनी जान हथेली पर लिये रहते थे। मुर्शिदाबाद के कंचनताला में जन्में उनके पिता का नाम भुबनमोहन बागची है। उन्होंने कृष्णनाथ कॉलेज, बहरामपुर से पढ़ाई की। बाद में उन्होंने पटना के बांकीपुर कॉलेज और भागलपुर कॉलेज में पढ़ाई की। कृष्णनाथ कॉलेज, बरहामपुर में पढ़ाई के दौरान, वह जुगंतर की क्रांतिकारी पार्टी में शामिल हो गए। वह पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए पटना के बांकीपुर कॉलेज और भागलपुर कॉलेज गया था। उन्होंने दानापुर के सैनिकों के बीच स्वतंत्रता संग्राम के विचारों को भड़काने की कोशिश की। उन्होंने पार्टी के निर्देशन में गुवाहाटी के अठगांव में शरण ली। इधर, 12 जनवरी, 1918 को, पुलिस के साथ सशस