by हिंदी ओलंपियाड फाउंडेशन | Hindi Olympiad Foundation सामाजिक क्रान्ति के अग्रदूत : ईश्वरचंद्र विद्यासागर भारत में 19वीं शती में जिन लोगों ने सामाजिक परिवर्त्तन में बड़ी भूमिका निभाई, उनमें श्री ईश्वरचन्द्र विद्यासागर का नाम बड़े आदर से लिया जाता है। उनका जन्म 26 सितम्बर, 1820 को ग्राम वीरसिंह (जिला मेदिनीपुर, बंगाल) में हुआ था। धार्मिक परिवार होने के कारण इन्हें अच्छे संस्कार मिले। नौ वर्ष की अवस्था में ये संस्कृत विद्यालय में प्रविष्ट हुए और अगले 13 वर्ष तक वहीं रहे। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी; अतः खर्च निकालने के लिए इन्होंने दूसरों के घरों में भोजन बनाया और बर्तन साफ किये। रात में सड़क पर जलने वाले लैम्प के नीचे बैठकर ये पढ़ा करते थे। इस कठिन साधना का यह परिणाम हुआ कि इन्हें संस्कृत की प्रतिष्ठित उपाधि ‘विद्यासागर’ प्राप्त हुई। 1841 में वे कोलकाता के फोर्ट विलियम कालेज में पढ़ाने लगे। 1847 में वे संस्कृत महाविद्यालय में सहायक सचिव और फिर प्राचार्य बने। वे शिक्षा में व...