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एक जीवन ऐसा भी - देवकीनन्दन खत्री

                  by  हिंदी ओलंपियाड फाउंडेशन  |   Hindi Olympiad Foundation  उपन्यासकार देवकीनन्दन खत्री  हिन्दी में ग्रामीण पृष्ठभूमि पर सामाजिक समस्याओं को जाग्रत करने वाले उपन्यास लिखने के लिए जहाँ प्रेमचन्द को याद किया जाता है; वहाँ जासूसी उपन्यास विधा को लोकप्रिय करने का श्रेय बाबू देवकीनन्दन खत्री को है। बीसवीं सदी के प्रारम्भ में एक समय ऐसा भी आया था, जब खत्री जी के उपन्यासों को पढ़ने के लिए ही लाखों लोगों ने हिन्दी सीखी थी। बाबू देवकीनन्दन खत्री का जन्म अपने ननिहाल पूसा (मुजफ्फरपुर, बिहार) में 18 जून, 1861 को हुआ था। इनके पिता श्री ईश्वरदास तथा माता श्रीमती गोविन्दी थीं। इनके पूर्वज मूलतः लाहौर निवासी थे। महाराजा रणजीत सिंह के देहान्त के बाद उनके पुत्र शेरसिंह के राज्य में वहाँ अराजकता फैल गयी। अतः ये लोग काशी में बस गये। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा अपने ननिहाल में उर्दू-फारसी में ही हुई। काशी आकर इन्होंने हिन्दी, संस्कृत व अंग्रेजी सीखी। गया के टिकारी राज्य में इनकी पैतृक व्यापारिक कोठी थी। वहाँ रहकर इन...